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मेला हमारी संस्कृति, सद्भाव सभ्यता को बनाए हुए : रावल किशनसिंह

ध्वजारोहण के साथ श्री मल्लीनाथ पशु मेले का हुआ आगाज

तिलवाड़ा- प्राचीन लोक संस्कृति की विरासत को संजोए विश्व विख्यात श्री रावल मल्लीनाथ पशु मेले का आगाज अष्ट प्रकृति महायज्ञ आयोजन एवम् ध्वजारोहण के साथ किया गया। लूणी नदी के तट पर स्थित श्री रावल मल्लीनाथ जी मंदिर, तिलवाड़ा में ध्वजारोहण कार्यक्रम श्री श्री 1008 श्री नृत्य गोपालराम जी महाराज (गढ़ सिवाना) के पावन सानिध्य, रावल किशनसिंह जसोल के मार्गदर्शन एवम् मालानी क्षेत्र के प्रबुद्धजनों की मौजूदगी में किया गया।
 ध्वजारोहण के दौरान पुष्कर एवम् कच्छ से आए लोक कलाकारों तथा स्थानीय गैर नृत्य कलाकारों ने ढोल व थाली की टंकार के साथ प्रस्तुति दी। साथ ही रावल श्री मल्लीनाथ जी को लापसी प्रसाद का भोग लगाकर मेला में पधारे समस्त भक्तगणों, मैलार्थियों, तिलवाड़ा, थान मल्लीनाथ एवम् बोरावास के समस्त ग्रामवासियों में धर्मभाव के साथ वितरण किया गया। 

ध्वजारोहण के दौरान रावल किशनसिंह जसोल ने कहा कि तिलवाड़ा में लूणी नदी के तट पर करीब 700 वर्ष पहले रावल श्री मल्लीनाथजी ने संत समागम किया था, जिसमें श्री राणी रूपादे जी, समकालीन संत गुरु उगमसी भाटी, बालीनाथ जी, रावत रणसी जी, मेवाड़ के राणा कुम्भा, सेलनसीर जी, बाबा रामदेव जी, हड़बूजी, जैसल धाड़वी, जैसल तोरल आदि महान संत पधारे थे, तब से यह मेला लगता आ रहा है। जो आज भी अनवरत जारी है। इस मेले का श्री गणेश प्रत्येक वर्ष चैत्र कृष्ण पक्ष एकादशी से होता है। साथ ही बताया कि रावल श्री मल्लीनाथ व उनकी राणी रूपादे जी ने समाज में जो आदर्श स्थापित किए। उनके बताए हुए मार्ग व पदचिह्नों पर चलने से प्रत्येक व्यक्ति का कल्याण संभव है। उन्होंने कहा कि यह मेला हमारी संस्कृति, सद्भाव सभ्यता को बनाए हुए हैं। हमारी पुरातन संस्कृति को हम नहीं भूले, इसलिए इस मेले का आयोजन लगातार होना चाहिए। 
13वीं शताब्दी से चला आ रहा यह मेला आपसी सद्भाव की मिसाल बना हुआ है। धवजारोहण उपरांत महंत श्री गणेशपुरी जी महाराज (वरिया मठ) के पावन सानिध्य एवम श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान के द्वारा मेलार्थियों हेतु निःशुल्क भोजनशाला का शुभारंभ किया गया। इस दौरान श्री राणी भटियाणी मंदिर ट्रस्टी कर्नल शंभूसिंह देवड़ा, समिति सदस्य कुंवर हरिश्चन्द्रसिंह जसोल, संस्थान सचिव गजेंद्रसिंह, मोहनसिंह बुड़ीवाड़ा, मांगूसिंह जागसा, श्री रावल मल्लीनाथ श्री राणी रूपादे संस्थान सचिव सुमेरसिंह वरीया, समिति सदस्य राजूसिंह नौसर, देवीसिंह कितपाला, ठा. प्रवीणसिंह, भीमसिंह टापरा, ठा. विक्रमसिंह, शंभूसिंह असाड़ा, गुमानसिंह वेदरलाई, जीवराजसिंह कोलू व शोभसिंह, शैतानसिंह, जोगसिंह असाड़ा, गणपतसिंह सिमालिया, उदयसिंह, जितेंद्रसिंह डंडाली, चैनसिंह नौसर, भीमसिंह मेकराना, गोपालसिंह कालेवा, मोहनभाई पंजाबी, गुमानसिंह मेवानगर, राजेंद्रसिंह उमरलाई, स्वरूपसिंह जागसा, हिंदुसिंह जाजवा, विक्रमादित्यसिंह, रघुवीरसिंह बुड़ीवाड़ा सहित मालाणी क्षेत्र छतीशी कौम के प्रबुद्धजन मौजूद रहे।