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राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के सम्बन्ध में जिला कलक्टर ने जारी किए निर्देश

राष्ट्रीय ध्वज हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक, इसका सम्मान करें - जिला कलक्टर
बालोतरा। भारतीय झंडा संहिता 2002 (2021 एवं 2022 में यथा संशोधित) तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 में अंतर्विष्ट नियमों की कड़ाई से पालना के संबंध में जिला कलक्टर सुशील कुमार यादव ने निर्देश जारी किए।
जिला कलक्टर सुशील कुमार यादव ने बताया कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए, इसे सम्मान की स्थिति मिलनी चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सार्वभौमिक लगाव और आदर तथा वफादारी होती है। राष्ट्रीय झंडे के संप्रदर्शन पर लागू होने वाले कानूनों, प्रथाओं तथा परंपराओं के संबंध में जनता के साथ-साथ भारत सरकार के संगठनों/एजेंसियों में भी जागरूकता का अभाव देखा गया है। राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 तथा भारतीय झंडा संहिता, 2002 [2021 एवं 2022 में यथा संशोधित) जो राष्ट्रीय ध्वज के प्रयोग, ध्वजारोहण एवं संप्रदर्शन को नियंत्रित करते हैं, की प्रति इस मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.gov.in पर भी उपलब्ध है। 
उन्होंने बताया कि भारतीय झंडा संहिता के भाग-ll के पैरा 2.2 की धारा (x) के अनुसार जनता द्वारा कागज़ के बने राष्ट्रीय झंडों को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर हिलाया जा सकता है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने को कहा कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर जनता द्वारा प्रयोग किये हुए कागज़ के बने राष्ट्रीय झंडों को समारोह के पूरा होने के पश्चात न तो विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकान्त में किया जाए।

भारतीय झंडा संहिता. 2002 में निहित मुख्य दिशा-निर्देश

भारत का राष्ट्रीय ध्वज, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और सबके मन में राष्ट्रीय ध्वज के लिए प्रेम, आदर और निष्ठा है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण, प्रयोग एवं संप्रदर्शन राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा नियंत्रित है। भारतीय झंडा संहिता, 2002 में निहित कुछ मुख्य दिशा-निर्देश जनता की जानकारी के लिए नीचे सूचीबद्ध हैं:-

(क) भारतीय झंडा संहिता, 2002 को 30 दिसंबर, 2021 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया और पॉलिएस्टर के कपडे से बने एवं मशीन द्वारा निर्मित राष्ट्रीय ध्वज की अनुमति दी गई। अब व्यवस्था है कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते गए और हाथ से बुने हुए या मशीन द्वारा निर्मित सूती, पॉलिएस्टर, ऊनी, सिल्क एवं खादी के कपडे से बनाया गया हो।

(ख) जनता का कोई भी व्यक्ति, कोई भी गैर-सरकारी संगठन को अथवा कोई भी शिक्षा संस्था राष्ट्रीय झंडे को सभी दिनों ओर अवसरों, औपचारिकताओ या अन्य अवसरों पर फहरा अथवा प्रदर्शित कर सकता है, बशर्ते राष्ट्रीय झंडे की मर्यादा और सम्मान का ध्यान रखा जाए।

(ग) भारतीय झंडा संहिता, 2002 को 20 जुलाई, 2022 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया एवं भारतीय झंडा संहिता के भाग-ll के पैरा 2.2 की धारा (xi) को निम्नलिखित धारा से प्रतिस्थापित किया गया:- (xi) "जहाँ झंडे का प्रदर्शन खुले में किया जाता है या जनता के किसी व्यक्ति द्वारा घर पर प्रदर्शित किया जाता है, वहां उसे दिन एवं रात में फहराया जा सकता है।"

(घ) राष्ट्रीय झंडे का आकार आयताकार होगा। यह किसी भी आकार का हो सकता है परन्तु झंडे की लम्बाई और चौडाई का अनुपात 3: 2 होगा।

(ङ) जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाए तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए।

(च) फटा हुआ और मैला-कुचैला झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाए।

(छ) झंडे को किसी अन्य झंडे अथवा झंडो के साथ एक ही ध्वज-दंड से नहीं फहराया जाए।

(ज) संहिता के भाग-lll की धारा-lX में उल्लखित गणमान्यो जैसे राष्ट्रपति, उप- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि के सिवाय झंडे को किसी वाहन पर नहीं फहराया जायेगा।

(झ) किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊँचा या उससे ऊपर या उसके बराबर में नही लगाना चाहिए।

अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय झंडा संहिता, 2002, गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.gov.in पर उपलब्ध हैं।