शाइन टुडे@ जसोल न्युज : श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान (जसोलधाम) द्वारा आयोजित श्री नर्बदेश्वर महादेव मंदिर में श्री श्री 1008 महंत श्री संध्यापूरी जी महाराज के षोडसी भंडारा महोत्सव का आज पूर्णाहूति के साथ समापन हुआ। षोडसी भंडारा कार्यक्रमों के तहत विगत 7 दिवस में कलश यात्रा, 108 कलशों से रुद्राभिषेक, भव्य रथ यात्रा, महाप्रसादी एवम् प्रतिदिन शिव पुराण कथा का आयोजन हुआ।
आज शिव पुराण कथा में कथा वाचक पंडित श्री प्रमोद शास्त्री ने गोपेश्वर महादेव लीला, भगवान शिवजी व श्री कृष्ण जी मिलाप, भगवान शिवजी द्वारा बताए गए धर्म के मार्ग का वाचन किया गया। जिसे सुन मौजूद भक्तगण आनंदित हुए। कथा के दौरान पण्डित श्री प्रमोद शास्त्री ने कहा कि शिव पुराण में भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया गया है। इस पुराण का संबंध शैव मत से माना जाता है। इसमें भगवान शिव को प्रसन्न करने की पूजा विधियों और ज्ञान से भरे आख्यान भी सम्मिलित हैं। हिंदू धर्म में भगवान शिव त्रिदेवों में से एक हैं और इन्हें संहार का देवता भी माना जाता है। भगवान शिव को महेश, महाकाल, नीलकंठ, रुद्र आदि नामों से भी पुकारा जाता है। भगवान शिव महान योगी थे और इसीलिये उन्हें आदियोगी की संज्ञा भी दी जाती है। हिंदू शास्त्रों में भगवान शिव को एक ऐसे देवता के रुप में वर्णित किया गया है जो बहुत दयालु और भोले हैं और भक्तों की एक सच्ची पुकार पर प्रसन्न हो जाते हैं। हालांकि जब भगवान शिव क्रोध में आते हैं तो सारी सृष्टि कांपने लगती है। भगवान शिव की महिमा का गुणगान कई प्राचीन भारतीय ग्रंथों में देखने को मिलता है लेकिन शिव पुराण में उनके जीवन पर गहराई से प्रकाश डाला गया है। शिव पुराण में उनके जीवन, विवाह, संतान, रहन-सहन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिव पुराण में 6 खंड और 24000 श्लोक हैं। पूर्णाहूति पर संस्थान अध्यक्ष रावल किशनसिंह जसोल ने कहा कि पूरे भारत वर्ष के साथ पूरी दुनिया में भगवान शिव के जितने भक्त हैं वो भगवान शिव से सुख और शांति की कामना करते हैं। भगवान शिव के भक्तों के लिये शिव पुराण का बड़ा महत्व है। इस पुराण में शिव भगवान की महिमा की गई है। इस पुराण में शिव जी को वात्सल्य, दया और करुणा की मूर्ति के रुप में महिमामंडित किया गया है। इस पुराण का पाठ करने से भक्तों के अंदर भी ऐसे ही गुणों का संचार होता है। यानि भक्तों का चरित्र भी भगवान शिव की ही तरह बनने लगता है। जो भक्त शिव पुराण का विधि पूर्वक पाठ करते हैं वो जीवन-मरण के चक्र से भी मुक्ति पा जाते हैं। इसलिये हिंदू धर्म में शिव पुराण को बहुत अहम माना जाता है।
इस दौरान संस्थान सचिव गजेंद्रसिंह जसोल, समिति सदस्य गुलाबसिंह डंडाली, सुरजभानसिंह दाखा एवं फतेहसिंह जसोल, मोहनभाई पंजाबी, पंडित मनोहरलाल अवस्थी, हेमाराम माली, देवाराम माली, हेमाराम मेघवाल, विनोद सेवक, काशीराम, चंपालाल, तुलसीलाल राठी सहित जसोल एवम् आसपास के ग्रामों के प्रबुद्धजन व नारीशक्ति मौजूद रही।