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"सबके प्यारे हनुमान चौधरी"


 "सबके प्यारे हनुमान चौधरी" 

 काव्य रचना 

धरातल की अनूठी पहचान है,सिवाना विकास अधिकारी!

सेवा हो या नौकरी,हर क्षेत्र में महारथी है हनुमान चौधरी!!


सेवा परमों धर्मो के पथ अग्रसर,मानवता के एक पुजारी !!

अनोखी मुस्कुराहट से , सिवाना में पहचान बनाई प्यारी!!


गौ सेवकों व भामाशाहों के साथ, निभाई बड़ी जिम्मेदारी! 

रोकथाम हेतु बांटे किट, गायों में फैली थी लंपी महामारी!!


पशु - खेली स्वच्छता अभियान से ,समस्या मिटाई सारी!

स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति कर, बने सबके नेतृत्वकारी!!


बिजली,पानी,छत और भोजन, जीवन में है बेहद जरूरी!

मूलभूत सुविधा से वंचित गरीबों के , मसीहा बने चौधरी !!


घर - घर पेंशन सत्यापन करके, बुजुर्गों के बने पालनहारी!

लंबित प्रकरण का निस्तारण कर,बन गए परिवर्तनकारी!!


महंगाई राहत शिविरों में,योजनाबद्ध तरीके से की तैयारी !

हर वर्ग का ख्याल रखकर , कार्यों की निभाई जिम्मेदारी!!


युवा ,महिला और बुजुर्ग , सबके प्यारे विकास अधिकारी !

धरातल भी बोल उठा , अधिकारी हो तो हनुमान चौधरी!!


कुमार जितेन्द्र "जीत"
कवि लेखक
विश्लेषक, आलोचक, वरिष्ठ - अध्यापक (गणित)