नर्सिंग ऑफिसर की सूझबूझ से एक प्रीमेच्योर बेबी और महिला की जान बचाई।
मंडली (बाड़मेर)
बाड़मेर जिले के मंडली गांव के आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर निर्मला विश्नोई की सूझबूझ से एक प्रीमेच्योर बेबी और महिला की जान बच गई। मंडली गांव के पीएचसी पर शुक्रवार को करीब 5 किलोमीटर दूर राठोड़ों की ढाणी निवासी प्रेग्नेंट गुड्डी कंवर पत्नी जगमालसिंह को पीएचसी सेंटर पर लाया गया था। महिला की कंडीशन क्रिटिकल थी। रेफर नहीं कर सकते थे। किसी तरह से समय से पहले डिलीवरी कराई गई। प्रीमेच्योर बेबी जन्मा और हार्टबीट नहीं चल रही थी
नर्सिंग ऑफिसर निर्मला विश्नोई का कहना है कि महिला की डिलीवरी के बाद से ही प्रीमेच्योर बच्चे की हार्टबीट नहीं चल रही थी। बच्चा रो भी नहीं रहा था। बच्चे को ऑक्सीजन पर लेते ही लाइट चली गई। इनवर्टर भी सपोर्ट नहीं कर रहा था। तब बच्चे को करीब 10 मिनट तक मुंह से सांस दी गई। इसके बाद बच्चा रोने लगा। उसकी हार्टबीट चल पड़ी। तब जाकर बच्चे की मां व परिवार के सदस्यों ने राहत की सांस ली।
दरअसल, डिलीवरी के बाद बच्चे की धड़कन बंद हो गई थीं। नर्सिंग कर्मी ने तुरंत बच्चे को ऑक्सीजन पर लिया, लेकिन तभी लाइट चली गई। इसके बाद नर्सिंग कर्मी बच्चे को करीब 10 मिनट तक मुंह से सांस (रिससिटेशन प्रोसेस) देती रहीं। इससे बच्चे का दिल धड़कने लगा और उसकी जान बच गई। अब सोशल मीडिया पर नर्सिंग कर्मी की तारीफ हो रही है। इसका एक वीडियो भी सामने आया है।
नर्सिंग ऑफिसर निर्मला विश्नोई की माने तो वो हर माह पीएचसी पर करीब 45-50 डिलीवरी करवाती है। यह पीएचसी जोधपुर जिले की सीमा से लगती हुई है। 30-35 किलोमीटर दूर से महिला डिलीवरी करवाने यहां पर आती हैं। कई बार जोधपुर के गांव शेरगढ़, बालेसर, सोईतरा इलाके के लोग भी मंडली सीएचसी पहुंचते हैं। ज्यादातर डिलीवरी नर्सिंग ऑफिसर निर्मला ही कराती हैं।परिवार वालों ने जाहिर की खुशी
परिवार वालों ने खुशी जाहिर करते नर्सिंग ऑफिसर निर्मला विश्नोई का शुक्रिया अदा किया। महिला के परिजनों का कहना है कि उनकी सुझबूझ से मां व बच्चे दोनों की जान बच गई। वह 6 साल से यहां पर कार्यरत हैं। पहले भी वह महिलाओं सहित कई बच्चों की जान बचा चुकी हैं।