नेत्रहीन बालक के परिजनों ने सोनू सूद से मांगी मदद, समर्थन में पत्रकारों ने किया रीट्वीट
रिपोर्ट: कमरूद्दीन खान
नागाणा(कल्याणपुर): बाड़मेर जिले के कल्याणपुर पंचायत समिति के नागाणा गांव निवासी भोला शंकर श्रीमाली का 8 वर्षीय पौत्र जितेंद्र जन्मजात नेत्रहीन है, परिवार जनों ने अपनी जमा की गई पूंजी को अस्पतालों में लगाकर हार थक कर हताशा है, अब परिजन अपना दर्द लेकर समदड़ी के स्थानीय पत्रकार सुनील दवे से मदद मांगते हुए देश के गरीबों के मसीहा फिल्मी हीरो सोनू सूद को ट्वीट कर जीतू दवे के लिए मदद मांगी है।
जानकारी के अनुसार नागाणा गांव निवासी
भोलाशंकर के दूसरे नंबर पुत्र बाबूलाल दवे की पत्नी को कुछ वर्ष पूर्व सातवां माह में एक साथ दो पुत्रों का जन्म हुआ था दोनों ही पैदाइसी कमजोर बच्चे थे लंबे समय तक सरकारी एवं निजी अस्पतालों में उपचार के बाद एक बच्चे की मौत हो गई, वही दूसरा बच्चा जिसका नामकरण जीतू रखा वो ठीक तो हो गया लेकिन उसकी आंखों की रोशनी नहीं बन पाई। समय बीतने के साथ इसकी जानकारी जब परिवार जनों को लगी तो उन्होंने राजस्थान से लगाकर गुजरात तक बच्चे के उपचार के लिए पूरी कोशिश की लेकिन उसका उपचार भारत मे होना असंभव था, इसलिए सभी डॉक्टरों ने मना कर दिया समय के साथ साथ बच्चा भी बड़ा होने लगा अब जीतू की उम्र 8 वर्ष हो गई है। लेकिन वह दोनों आंखों से देख नहीं पाता है परिवार के सभी सदस्यों से अपनी इच्छा जताते हुए नन्हे हाथों और मुंह से एक ही शब्द बोलता है, कि मैं भी दुनिया देखना चाहता हूं ,और पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहता हूं परिजन बस उसकी बातें सुनकर नम आंखों से आश्वासन देते हैं।
जीतू के दादा-दादी कहते हैं कि हमारी उम्र अब ढलने की कगार पर है, गांव में ज्योतिष का कार्य कर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, एसे में इस बच्चे की लंबी जिंदगी को लेकर हमेशा चिंता सताती है, आगे इसकी जिंदगी कैसे कटेगी परिवार की माली हालत खराब होने के कारण भारत से बाहर उपचार करवाना संभव नहीं है ,सुनने में आया है कि भारत से बाहर इसका उपचार संभव है ,अगर कोई संस्था या सरकार मदद करें तो जीतू भी इस दुनिया को देख सकता है ,ऐसे में उन्होंने अपने भतीज पत्रकार को अपनी पीड़ा सुनाई और सुनील दवे ने ट्वीट करते हुए गरीबों के मसीहा मददगार हीरो सोनू सूद को ट्वीट किया जिसके बाद मानो रि ट्वीट की झड़ी लग गई। प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकारों ने भी नेत्रहीन बालक की रोशनी के लिए रिट्वीट करते हुए सोनू सूद एवं फाउंडेशन संस्थाओं सरकार को मदद के लिए आगे आकर बच्चे के उपचार के लिए मदद की अपील की। हालांकि अभी तक सोनू सूद या सरकार की ओर से या फिर उनकी संस्था की ओर से कोई जवाब नहीं आया है, लेकिन परिजनों का विश्वास अटल है कि इस नन्ही सी जान के लिए कोई ना कोई जरूर देवदूत बंन कर आएगा और नेत्रहीन जीतू दुनिया की चकाचौंध रोशनी देखेगा और पढ़ लिख कर कुछ बनकर अपने पैरों पर खड़ा होगा।
सुनील दवे बताते हैं कि जब भी वह नागाणा गांव जाते हैं तो भतीज उनके पास आता है और कहता है बा मैं आपको देखना चाहता हूं नम आंखों से सुनील भी बच्चे को दिलासा देते हुए कहते हैं कि बेटा जल्द ही हमारी तरह तुम भी देखने लगोगे ओर आंखों से नीर बहाकर वहां से वापस लौट आते हैं, मीडिया में होने के कारण सोनू सूद के बारे में और उनकी गरीबों के प्रति नि:शुल्क सेवा भाव को देखते हुए उन्हें भी विश्वास है कि सोनू सूद एवं कोई सरकारी नुमाइंदा उनकी भी मदद करेंगे।