कोरोना री कटक घड़ी में मिळ मत भेटी खाय,
फिट छह री सांतरी मिनखां मह छेटी सुहाय।
सावचेती जरूरी घणी हैं आ सबनै हैं अरदास,
हाथ धोइजो घड़ी घड़ी सेनेटिजर राखों पास।
मुंडा माथे मास्क राखो ने घड़ी घड़ी खोलो मति,
बगैर कारज गलियां मांय डाफाचूक डोलो मति।
भोजन ल्यो भरपेट हरदम अ'र पीवौ पाणी गरम,
व्हाट्सअप माथै घेला हो'र मत न फैलावों भरम।
शादी ब्याव में घणी भीड़ सूं न बढ़ैला थारी साख,
महामारी रा एक्ट में जुर्मानों लागेला रूप्या लाख।
जगत में सायों सकल ओ कोविड बण'र काळ,
मेटण आळा ई मेटसी ओ जग हन्दों जंजाळ।
✍️जीत जांगिड़ सिवाणा