कोरोना के कारण लंकाधिपति रावण का नहीं हुआ दहन
विजयादशमी पर कोरोना का कहर, रावण पर भी रहा भारी
जोधपुर: कोरोना ने इस बार सदियों से चली आ रही रावण दहन की परम्परा पर विराम लगा दिया है. रावण के ससुराल जोधपुर में इस बार विजयादशमी के अवसर पर रावण का दहन नहीं हुआ . विजयादशमी के पर्व पर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक रावण दहन का कार्यक्रम कोरोना के चलते आयोजित नही किया गया . ऐसे में जोधपुर वासियों ने जहां कोरोना को कोसा तो वही सरकार ने इस निर्णय का भी स्वागत किया. परन्तु रावण इस बार लोगो के बिच चर्चा का विषय जरूर रहा।
जोधपुर में 102 वर्षों बाद परपंरा टूटी:
रावण दहन की परपंरा सदियों से चली आ रही है और यह पहला मौका होगा है जब जोधपुर में 102 वर्षो बाद यह परपंरा नहीं निभाई गई और रावण दहन नही किया गया . महोत्सव को लेकर नगर निगम ने कलेक्टर के जरिए राज्य सरकार को पत्र लिख मार्गदर्शन मांगा था. राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना की रोकथाम के लिए पहले से जोधपुर में धारा 144 लागू है. ऐसे में रावण दहन के दौरान उमड़ने वाली भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए इसका आयोजन इस साल नहीं किया जाए. वही इस बार बात करे रावण के पुतले बनाने वाले उन मजदूरों की तो उनके लिए भी इस बार रोजगार का संकट रहा है. मजदूर परिवारों के लिए रावण दहन कार्यक्रम नही होने से रोजी रोजी का संकट और गहरा हो गया . जोधपुर के राजघराने से जुडे हुए राज व्यास परिवार के सदस्यों से जब रावण दहन की परपंरा कब से चली आ रही है इस संबंध मे पूछा गया तो उन्होने बताया कि परपंरागत दशहरा जोधपुर महाराजा द्वारा विधिपूर्वक सदियों से मनाया जा रहा है. लेकिन यह पहली मर्तबा है कि इस बार रावण का दहन नही हुआ है।
सन 1918 से चली आ रही है ये परंपरा:
पूर्व महाराजा उम्मेद सिंह के समय 1918 से यह परंपरा चली आ रही है,तब से लेकर आज यह पहला मौका है जब रावण का दहन नही हुआ . वहीं रावण दहन नही किए जाने के निर्णय की जहां जोधपुर के लोगो ने सराहना करते हुए कहा कि रावण दहन जब होता है तो रावण चबूतरा मैदान में काफी भीड लगती है ऐसे में वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नही हो पाएगा. जोधपुर में कोरोना के कहर को देखते हुए सरकार का यह सही निर्णय है कि इस बार रावण दहन नही होगा क्योकि त्यौहार तो हम अगले वर्ष भी मना लेंगे मगर अभी कोरोना को भगाना हमारे लिए जरूरी।
इस बार नहीं निकली भगवान रामचन्द्र जी की सवारी:
बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व विजयदशमी के दिन मेहरानगढ़ में सदियों पुरानी परम्परा दशहरा दरबार नहीं सजा . कोविड-19 और जिला प्रशासन की गाइडलाइन के कारण दशहरे के दिन किए जाने वाला अश्व, पारम्परिक शस्त्रों एवं शमीपूजन भी प्रतिकात्मक ही की गई . किले के ही मुरली मनोहरजी मन्दिर से दशानन दहन स्थल रावण चबूतरा मैदान तक भगवान रामचन्द्र की सवारी भी इस बार नहीं निकली . शस्त्र व शमी पूजन की परम्परा इस बार कोविड के कारण उम्मेद भवन में प्रतिकात्मक रूप से की गई . मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडोर की रहने वाली थी. उसका विवाह मंडोर में ही रावण के साथ हुआ था. मंडोर में दोनों के विवाह के दौरान फेरे लिए जाने का स्थान भी है. वहीं, जोधपुर में रावण व मंदोदरी का एक मंदिर भी बना हुआ है